दरअसल हजारों की बात तो रहने दें, यदि कुछ सौ परमाणु हथियारों का भी उपयोग कभी हो गया तो करोड़ों लोग तो तुरंत मारे जाएंगे और करोड़ों अन्य लोग तिल-तिल कर बाद में मरते रहेंगे। इसके बाद दूर-दूर तक ऐसे पर्यावरणीय और मौसमी बदलाव आएंगे जिनमें अधिकांश बचे हुए मनुष्यों और जीवों के लिए भी अस्तित्व बचाए रखना लगभग असंभव होगा।
प्रायः यह कहा जाता है कि किसी भी चीज को बनाना कठिन है, नष्ट करना आसान है पर परमाणु हथियारों पर यह कहावत कतई लागू नहीं होती है। इन्हें बनाना जितना कठिन है, इन्हें असरदार ढंग से नष्ट करना कई बार उससे भी कठिन और महंगा सिद्ध हो सकता है।
वर्ष 1987, 1991 और 1993 में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ (या रूस) के बीच तीन महत्वपूर्ण समझौते अणु शस्त्रों और अन्य शस्त्रों को कम करने के बारे में हुए जिनका व्यापक स्तर पर स्वागत किया गया और जिनसे अनेक लोगों में यह विश्वास उत्पन्न हुआ कि अब काफी बड़े पैमाने पर अणु शस्त्र इन दोनों देशों में नष्ट किये जा रहे हैं।