वहीं, जमना देवी, जो पिछले 27 वर्षों से इसी गांव में रह रही हैं, ने बताया कि उनके पति किडनी रोग के मरीज हैं। बाढ़ के कारण रास्ते बंद हो गए थे, अब जाकर सड़क खुली है और आज उन्हें इलाज के लिए जालंधर ले जाया गया है। हमारे लिए यह दोहरी मार है। हमारा घर उजड़ गया और बीमारी से जूझ रहे पति के इलाज की चिंता अलग।
इस आपदा में कुल 5 परिवारों के करीब 25 से 30 लोग पूरी तरह से बेघर हो गए हैं। सभी प्रभावितों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें किसी सुरक्षित और स्थायी स्थान पर पुनर्वासित किया जाए। उनका कहना है कि जो कुछ भी था, वह सब कुछ इस आपदा में समाप्त हो गया है और अब भविष्य को लेकर सिर्फ अनिश्चितता बची है।